अनु उसे देखकर चौंक गई थी। जिस इंसान को वो हमेशा अपने सपनों में ही देखती थी। आज वो उसके सामने था।
3 साल पहले...
प्रिया के जाने के बाद सुब्बू अकेला रहने लगता है और सबकुछ छोड़कर दिन भर नशे में घुत्त रहने लगता है। पुरे दिन नशें में घुत्त रहता है और रात भर रोता है।
जब कभी रात में जाग जाता है तो फिर तब तक drink करता है जब तक नशे से बेहोश न हो जाए। सुब्बू का हर दिन यूंही दुख में गुजरते जा रहे थे।
यूंही दिन गुजरते जा रहे थे और सुब्बू dipression का शिकार हो गया। सुब्बू कई बार suiside करने कि कोशिश करता है लेकिन चाह कर भी खुदको मार नहीं पाता।
फिर एक रात सुब्बू जब नशे में घुत्त सो रहा होता है। तब वो सपने में प्रिया को देखता है और फिर अचानक से जाग जाता है।
सुब्बू सोचने लगता है कि जिस लड़की को उसने देखा वो प्रिया होकर भी प्रिया नहीं थी। अगर वो प्रिया नहीं थी तो फिर वो थी कौन?
रात बोहोत हो चुकी थी और बारीश हो रही थी। सुब्बू बोहोत बेचैन हो रहा था सोच सोच कर। तभी अचानक जोर से बिजली कड़कती है और लाईट चली जाती है। उस अंधेरे में जब दुबारा बिजली कड़कती है तो सुब्बू का ध्यान दिवार पर लगे board पर जाता है।
उस board पर उस Project के बारे मे लिखा था जिसपर सुब्बू ओर प्रिया साथ में काम कर रहे थे। वो Project था "Paralar Universes"। सुब्बू चौंक जाता है और अपने सपने की वजह समझ जाता है। वो bord के पास जाता है और उसे याद आता है जो प्रिया ने उसे कहा था, "अगर दुसरी दुनियाएं होती है तो हर दुनिया में मैं बस तुमसे प्यार करूंगी...।"
सुब्बू बेचैन हो जाता है और अपना फोन ढुंढने लगता है। फोन मिलते हि वो "रोहन" को call करता है,
रोहन: Hlo
सुब्बू: रोहन क्या तेरे पास प्रिया के ऑफिस कि चाबी है?
रोहन: सुब्बू तुम, तुम ठिक तो हो?, क्या हुआ?
सुब्बू: ये सब बातें छोड़, बस इतना बता तेरे पास चाबी है या नही।
रोहन: हां है, पर क्यूं?
सुब्बू: तू जल्दी से लैब पहोंच। मैं अभी आता हूं।
रोहन: ठीक है, पर बता तो हुआ क्या?
सुब्बू: तू बस जल्दी लैब पहोंच। सब वही बताता हूं।
सुब्बू call cut करता है और अपनी कार की चाबी ढुढने लगता है। सुब्बू का रूम पुरा बिखरा हुआ था। इसलिए उसे थोड़ा time लगता है। चाबी मिलते ही वो कार कि तरफ भागता है और कार start करके लैब कि तरफ निकल पड़ता है।
लैब पहोंचते ही सुब्बू रोहन से प्रिया के ऑफिस रूम कि चाबी लेता है और दौड़ता हुआ प्रिया के ऑफिस रूम कि तरफ जाता है। रूम में जाकर सुब्बू कुछ ढुंढने लगता है। रोहन भी उसके पीछे आता है और उसे ऐसा करते देख कहता है,
रोहन: ये क्या कर रहे हो? आख़िर क्या ढूंढ रहे हो कुछ बताओगे?
तभी सुब्बू प्रिया के ऑफिस में पड़ी टेबल का drower खोलता है। उसमें उसे लॉकेट और एक डायरी मिलती है। सुब्बू लॉकेट को उठाता है। लॉकेट देख कर उसकी आंखों में आंसु आने लगते हैं। फिर सुब्बू डायरी उठाता है और उसे खोलकर उसमें लिखी आखरी line's पढ़ता है जो थी,
"मैं तुम्हारी खुशी के लिए तुमसे दूर जाने को भी तैयार हूं। पर पता नहीं क्यूं मुझे ऐसा लगता है कि मैं कहीं भी चली जाऊं तुम मुझे ढुंढ हि लोगे ओर मेरे पास आ जाओगे।"
ये पढ़ते ही सुब्बू डायरी को गले लगाकर रोने लगता है ( ये ऐसा था जैसे कि उसका दिल टुकड़े टुकड़े हो गया हो)। रोहन उसे संभालता है और पुछता है,
रोहन: सुब्बू क्या हुआ यार? ये सब क्या है? मुझे कुछ बतायेगा भी।
सुब्बू शांत होता है और रोहन से कहता है,
सुब्बू: रोहन मैं प्रिया को वापस ला सकता हूं। हां मैं ये कर सकता हूं।( खुशी, उत्सुकता ओर थरथराती आवाज में गिरते हुए आंसुओं के साथ कहता है )
रोहन: क्या? ये क्या कह रहे हो? तुम्हारा मतलब क्या है।(हैरान आवाज में)
सुब्बू: मैं सच कह रहा हूं। मुझे पता है कि वो कहां है। मै उसे वापस ला सकता हूं। तुम्हें मेरी help करनी होगी इसमें। तुम करोगे?
रोहन: मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम प्रिया को वापस ला सकते हो जो मर चुकी है। देखो या तो तुम मजाक कर रहे हो या फिर तुम पागल हो चुके हो ओर अगर तुम मजाक कर रहे हो तो मैं ऐसे बेहुदे मजाक के लिए तुम्हारा मुंह तोड सकता हूं।
सुब्बू: ना तो मैं मजाक कर रहा हूं और ना ही मैं पागल हूं। तुम मेरी बात सुनो,
फिर सुब्बू रोहन को अपने सपने और उस Project के बारे में बताता है। रोहन सुब्बू कि help करने के लिए तैयार हो जाता है। सुब्बू project फिर से शुरू करता है ओर 3 साल दिन रात प्रिया कि याद में बिताते ओर जल्द ही वो प्रिया तक पहोंच जाएगा इस उम्मीद से project पर काम करता है।
3 साल बाद आखिरकार सुब्बू project पुरा कर लेता है और वो device तैयार कर लेता है जिससे वो दुसरे Universes में जा सकता है। सुब्बू ये देख कर बहोत खुश हो जाता है।
सुब्बू computer पे प्रिया कि picture scan करता है ओर तभी स्क्रीन पर प्रिया के सभी Universes के veriants(रूप) आ जाते हैं। सुब्बू कि नजर अचानक उस veriant पर जाती है जिसे उसने अपने सपने में देखा था। सुब्बू की आंखों में आंसु आ जाते हैं और वो कहता है..
सुब्बू: time आ गया हमारे मिलने का...
सुब्बू devise में उस जगह कि location lock करता है जहां से प्रिया के उस veriant के universe का दरवाजा है जिसे उसने अपने सपने में देखा था। फिर सुब्बू रोहन को बुलाता है। रोहन को यकिन नहीं होता। लेकिन फिर भी वो सुब्बू के लिए खुश था। रोहन सुब्बू से कहता है कि,
रोहन: मैं भी साथ चलूंगा। मुझे भी उसे देखना है।
सुब्बू: नहीं अभी नहीं। पहले मै ही जाउंगा। सब ठीक रहा जैसे हमने plan किया है तो मैं वापस आकर तुम्हे साथ ले चलूंगा। ठिक है।
रोहन: oky..
अगले हि दिन सुब्बू निकल जाता है और उस location पर पहोंच कर device का बटन दबाता है। Device में से एक किरण निकलती है जो हवा में कणों से टकराती है और बादलों के गर्जन कि आवाज के साथ एक दरवाजा खुलता है।
सुब्बू: Time आ गया...
तभी सुब्बू भागता हुआ दरवाजे के अंदर चला जाता है और दरवाजा गायब हो जाता है..
To be continued.....
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